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हमारे बारे में

श्री आत्मदर्शन चैरिटेबल ट्रस्ट

ज्योतिषशास्त्र का अभ्यास और उस ज्ञान का लोकहित में उपयोग करने के बाद मेरा यह निष्कर्ष है कि, पृथ्वी पर सुख-सुविधाओं की कामना रखने वाला मनुष्य सही अर्थो में सुखी देखने को नहीं मिल रहा है। हर एक व्यक्ति शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से हमेशा चिंतित देखने को मिल रहा है। चिंता और शोक से धिरे हुए विश्व में प्रति सौ व्यक्ति में से पाँच से दस मनुष्य मानसिक अस्थिरता से पीड़ित होते हैं। जिसके कारण आत्महत्या एवं हृदय से जुड़े हुए रोगों की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मनुष्य की व्यसन के प्रति आसक्ति भी मानसिक समस्या का ही एक हिस्सा है। मनुष्य की वर्तमान परिस्थिति को देखकर उसके निराकरण के विषय में मेरा मन तर्क-वितर्क करता रहता था और उसके बारे में शास्त्रों का अध्ययन करते हुए जानने को मिला कि मनुष्य का जन्म आत्मोद्धार, आत्मकल्याण करने के लिए हुआ है, लेकिन मनुष्य इस तथ्य और जीवन की सच्चाई को समझ नहीं पाया है। वास्तव में हिन्दू धर्म ने जीवन में उपयोगी और महत्वपूर्ण कहे जाने वाले लक्ष्यांक निश्चित किये हैं। इन चार लक्ष्यांकों को शास्त्र के अनुसार पुरुषार्थ कहा जाता है। ये चार पुरुषार्थ है, धर्म - अर्थ - काम और मोक्ष

हिन्दु धर्म में संसार को यथोचित महत्व दिया गया है। यानि संसार से एकदम संबंध तोड़कर मोक्ष पाने के पीछे दौड़ना, हिन्दू धर्म नहीं सिखाता। उससे विपरीत मनुष्य को धर्मबुद्धि से संसार की दैनिक स्थिति से गुजरना चाहिए। स्वयं कुटुंब के प्रति, समाज के प्रति और राष्ट्र के प्रति जो जिम्मेदारी है, उसे उत्तम तरीके से निभाने का पुरुषार्थ करना चाहिए और ऐसा करते हुए जो भी सुख - सुविधा प्राप्त हो उसे आत्मोद्धार में बाधारूप ना बने, उस प्रकार भोगना चाहिए। कई मनुष्य चाहते हैं कि, वे शास्त्रानुसार जीवन व्यतीत कर आत्मोद्धार कर सके। लेकिन उसके पूर्ण ज्ञान और योग्य मार्गदर्शन के अभाव के कारण मनुष्य अपने लक्ष्य से भटक जाता है, और संसार के मायाजाल में फँस जाने के कारण आत्मोद्धार से वंचित रह जाता है। हर व्यक्ति चाहता है कि आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करे। योग्य मार्गदर्शन के अभाव और वर्तमान में चल रहे आध्यात्मिक भ्रष्टाचार के कारण आध्यात्मिकता के प्रति लोगों की रुचि कम दिखाई दे रही है। प्राचीनकाल के दौरान दी जानेवाली आध्यात्मिक शिक्षा-प्रणाली और शिक्षा देने वाले गुरुओं पर दृष्टि की जाये तो निश्चित रूप से वर्तमान के शिक्षण और अध्यापकों की शिक्षा-प्रणाली में निःसंदेह अंतर देखने को मिलेगा। हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली एवं शिक्षा को ध्यान में रखकर, वर्तमान समय की शिक्षा-प्रणाली में आध्यात्मिक एवं योग शिक्षा का ज्ञान देकर बच्चों को दिव्य लक्ष्य की ओर खींचना चाहिए।

मेरे व्यकितगत अनुभवों से मुझे लगा कि आत्मकल्याण के लिए अष्टांगयोग का ज्ञान अति आवश्यक और आधार रूप है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इस अष्टांगयोग के माध्यम आत्मकल्याण सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। अष्टांगयोग में ध्यान का महत्व ज्यादा है लेकिन, जहाँ तक शरीर -शुद्धि न हो, वहाँ तक विचारशुद्धि, विचारशुद्धि न हो वहाँ तक धारणाशुद्धि नहीं होने से ध्यान करना संभव नहीं है। संक्षिप्त में कहा जाय तो शरीरशुद्धि के लिए आसन और प्राणायाम बहुत ही आवश्यक है। इन सभी बातों का मार्गदर्शन ठीक से मिल सके, ऐसी व्यवस्था या संस्था का अभाव है।

वर्तमान समय में शारीरिक श्रम से अधिक मानसिक श्रम होने के कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के रोगों की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। उन सभी रोगों से स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए आसन, प्राणायाम के अलावा आयुर्वेद शास्त्र का भी सही ज्ञान होना अनिवार्य बन जाता है। हमारे प्राचीन ऋषिमुनियों के द्वारा दिया गया अद्भुत उपहार ज्योतिष शास्त्र भी हमारे उत्तम जीवन जीने के लिए आवश्यक मार्गदर्शक है। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से मनुष्य की प्रकृति को पहचानकर सही क्षेत्र में उसका विकास करना संभव हो पाता है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से यह भी जानने को मिला कि उसके योग्य अभ्यास और मार्गदर्शन से मनुष्य अपना जीवन कैसे सरल बना सके और इस शरीर की आधि, व्याधि और उपाधि का पहले से निराकरण कर सके। यह शास्त्र आत्मकल्याण के लिए भी उतना ही उपयोगी साबित हुआ है। इसीलिए तो ज्योतिषशास्त्र को वेदों की 'आँख' कहा जाता है।

मनुष्य के आध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक एव आर्थिक परेशानियों का प्राणायाम, योग, आसन, ज्योतिषशास्त्र, आयुर्वेद आदि शास्त्रों के माध्यम से समाधान प्राप्त करके आत्मोद्धार का मार्ग प्रशस्त कर सके ऐसी संस्था की मुझे जरूरत लगी और 'आत्मदर्शन आश्रम' उसकी फलश्रुति है। मनुष्य अपना जीवन सरल, सहज और नीरोगी रहकर आत्मोद्धार का उत्तम ध्येय प्राप्त कर पाये यही इस संस्था का प्रयास रहेगा। इस संस्था के निर्माण एवं पदोन्नति हेतुसर आपकी ओर से सूचन शुभेच्छाएँ और दान अपेक्षित है।

हमारे उद्देश्य:   इस संस्था का प्रयास रहेगा कि मानव अपने जीवन को सहज और स्वस्थ तरीके से जीकर आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करे।

गतिविधि सूची

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